जिसे शबरी की जूठे बेर चखने का इंतजार हो ऊंच नीच से परे जनता से भरी दरबार हो। वो हैं ,श्रीराम।
जिसे शबरी की जूठे बेर चखने का इंतजार हो ऊंच नीच से परे जनता से भरी दरबार हो।
वो हैं ,श्रीराम।
जिनके हृदय मे कमल सी कोमलता हो और चौदह वर्ष का काँटों से भरा जीवन श्रृंगार हो।
वो हैं,श्रीराम।
जिसके मन मे द्वेष नहीं शत्रु और उसके भाई विभीषण के लिए भी सम्मान हों।
वो हैं,श्रीराम।
जिस माता ने वन चुना उनके लिए भी करुणा भरे हृदय से मां की पुकार हो।
वो हैं,श्रीराम।
पिता का सबसे प्रिय हो कर भी खड़ा दरकिनार हो।
वो हैं,श्रीराम।
जिसके पास भरत सा त्यागी और लक्ष्मण सा जंगल सहभागी भाई हो।
वो हैं,श्री राम।
जिसके पास मां सीता सी त्यागी अर्धांगिनी हो।
वो हैं,श्रीराम। जिसके पास सागर पार कर लंका जलाने वाला भक्त हनुमान हो।
वो हैं,श्रीराम।
प्रभु के बारे मे जितना लिखूं उतना कम है।
भगवान होकर भी जो मनुष्य जीवन में उतर कर संसार को एक नई दिशा दिखाई।
वो हैं,श्रीराम।
जिसने बताया की संसार रूपी जीवन को जीने के लिए भगवान भी इससे भिन्न नही है।
वो हैं, श्रीराम।
रचना — आक्षांक्षा राय
गाजीपुर,उत्तरप्रदेश