गरीबों को मिलने वाले राशन पर डाका
गरीबों को मिलने वाले राशन पर डाका
भाईजी सतीश बाजपेई की रिपोर्ट
उन्नाव, सरकार द्वारा गरीबों को दिये जाने वाले मुफ्त राशन पर अतिरिक्त वस्तुएँ बिक्री दर पर कोटेदार जबरदस्ती गरीबों के मत्थे मढ रहे हैं
वो गरीब जनता जिसके पास राशन के पैसे न हो, ऐसी स्थिति में 65 रुपये की चाय पत्ती कैसे खरीदें यह एक सुलगता हुआ सवाल जरूर उस गरीब के मन में उठता होगा |
एक कहावत है – सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे,
सरकार गरीब के हक पर डाका डाला रही है एक तरफ सरकार जहां गरीब आदमी को मुफ्त राशन दे रही है वही हर आदमी को मुफ्त राशन के साथ नमक, चायपत्ती आदि बिक्री दर पर जबरजस्ती उसी गरीब आदमी के मत्थे मढा जा रहा है अब सोचने वाली बात है कि जिस आदमी के पास राशन के पैसे न हो तो वह चाय बनाकर क्या पियेगा | उस पर यह जबरजस्ती कि अगर यह फालतू की वस्तुएँ न ले तो राशन भी नहीं मिलेगा
इस तरह खुले आम गरीब जनता का शोषण बदस्तूर जारी है गरीबों के मसीहा वाली सरकार आंख पर पट्टी बांधे इस गोरखधंधे को देख रही है |
धन्य हो ऐसी सरकार, धन्य हो ऐसा कानून
याद आता है वह राजा जिसके लिए मशहूर कहावत
अंधेर नगरी, चौपट राजा
सवा सेर भाजी , सवा सेर खाजा