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भारत के बजट 2024-25 में संस्कृत भाषा की उपेक्षाः विकास के साथ संस्कृति संवर्धन की आवश्यकता

भारत के बजट 2024-25 में संस्कृत भाषा की उपेक्षाः विकास के साथ संस्कृति संवर्धन की आवश्यकता

फतेहपुर चौरासी, उन्नाव। भारत में तीसरी बार नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके नेतृत्व में सरकार द्वारा पहला बजट पेश किया गया। इस बजट में शिक्षा और युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया और भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की बात की गई है। कृषि, ग्रामीण विकास, और शहरी क्षेत्रों के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाएं प्रस्तुत की गई। लेकिन भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत के विकास के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम न उठाया जाना लोगों की समझ से परे रहा है। इस बजट में संस्कृत भाषा और उससे संबंधित रोजगार के अवसरों का अभाव पर ध्यान नहीं दिया गया है।संस्कृत, जो कि भारत की प्राचीनतम और समृद्ध भाषा है, और आज भी लाखों लोगों के लिए आस्था और ज्ञान का स्रोत है। बावजूद इसके,सरकार ने संस्कृत भाषा के संवर्धन और इसे पढ़ने-पढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता के मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए क्षेत्र के कस्बा ऊगू निवासी केन्द्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय लखनऊ के छात्र ऋषि वैभव मिस्र ने कहा कि सरकार, जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ जैसे आदर्श वाक्य को अपना रही है और संस्कृति संवर्धनकी बात करती है, उसने संस्कृत भाषा को अपने बजट में पर्याप्त महत्व नहीं दिया है। जिससे संस्कृत भाषा के अध्ययन और अध्यापन में रोजगार के अवसरों की कमी बनी रहेगी। संस्कृत विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के लिए बजट का अभाव संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने की दिशा में बाधा बन रहे हैं। यदि सरकार संस्कृत में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देतोन केवल संस्कृत भाषा का विकास होगा बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के सर्वांगीण विकास का साधन है। योग, आयुर्वेद, दर्शन, और साहित्य में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। संस्कृत के ग्रंथों में निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है और आधुनिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने में सक्षम है। इस भाषा के विकास से न केवल शैक्षिक क्षेत्र में सुधार होगा, बल्कि सांस्कृतिक जागरूकता भी बढ़ेगी। सरकार को संस्कृत भाषा के संवर्धन और इसके अध्ययन के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए। संस्कृत विद्यालयों और ए विश्वविद्यालयों के लिए विशेष बजट मा आवंटित करना, संस्कृत शिक्षकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना, और है विद्यार्थियों को इस भाषा के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करना ऐसे कुछ ह कदम हो सकते हैं जिनसे इस दिशा में सुधार हो सकता है भारत के बजट 2024-25 में जहां से विभिन्न क्षेत्रों के विकास की योजनाएं ता प्रस्तुत की गई हैं, वहीं संस्कृत भाषा क की उपेक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। रु संस्कृत भाषा के संवर्धन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। पा इससे न केवल संस्कृत भाषा का के विकास होगा, बल्कि भारत की क सांस्कृतिक धरोहर भी सुरक्षित रहेगी पा और सुदृढ़ होगी।

सूर्य न्यूज़ 24 रिपोर्टर हरिओम

Suraj Kumar

Chief Editor - Surya News 24 Edior - Preeti Vani & Public Power Newspaper Owner - Etion Network Private Limited President - Suraj Janhit Association Address - Deeh Deeh Unnao UP Office Address - 629,Moti Nagar Unnao

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