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बच्चों को भीख मांगने से रोकने के लिए शुरू किया ट्रस्ट आज सैनिक भाइयों की कलाई पर सज रही हैं इनकी राखियां अंकित शुक्ला

बच्चों को भीख मांगने से रोकने के लिए शुरू किया ट्रस्ट आज सैनिक भाइयों की कलाई पर सज रही हैं इनकी राखियां अंकित शुक्ला

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उन्नाव राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद के नाम ट्रस्ट बनाया साल 2019 में इस को स्टार्ट किया था. उनका उद्देश्य था कि बच्चों को आजीविका से जोड़ सकें और वे भीग मांगने का काम न करें कानपूर विश्वविद्यालय से बीए करने के बाद उन्होंने इसकी शुरुआत उन्नाव से ही की थी आज रक्षाबंधन का त्यौहार है और पूरे देश में इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर अपना प्यार और अपनापन जता रही हैं. हालांकि, हमारे देश की सीमाओं पर तैनात कई जवानों की कलाई अक्सर सूनी रह जाती है. लेकिन एक संस्था ऐसा भी है, जो न केवल जवानों की कलाई तक राखियां पहुंचा रहा है बल्कि गरीब, बेसहारा बच्चों के जीवन को संवार भी रहा है.यह संस्था है उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव पिछले कई सालों से बच्चों द्वारा बनाई जाने वाली राखियों को देश की सेवा में तैनात जवानों को भिजवाता है. अंकित शुक्ला ने कहा कि बहुत सारे बच्चे आजीविका के लिए पढ़ाई छोड़ देते थे. इसे देखने के बाद हमने तय किया कि हम कुछ ऐसा करेंगे जिससे बच्चे अपनी आजीविका के साथ पढ़ाई भी कर सकें और कोई स्किल भी सीख सकें.कई सालों से हमने कई ऐसी बच्चियों के साथ काम शुरू किया जो किसी तरह अपना गुजारा करती थीं. हमने उन्हें आत्मनिर्भर बनाना शुरू किया. पढ़ाई-लिखाई भी कराई. साल 2019 से हम स्किल डेवलपमेंट एक्टिविटी भी कराने लगे. इसमें हम बच्चों से राखी, दिया, एपण, कलर्स आदि बनवाते हैं.
संस्था की वालंटियर प्रेमा और पूजा बच्चियों के विकास और उनकी शिक्षा को देखती हैं. वे पिछले सालों से राखी बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. लक्ष्मी, प्रेमा, मुस्कान, मीनाक्षी, मंजू, सपना पिछले 6 सालों से लगातार संस्था के साथ काम कर रही हैं. सैनिकों को भेजनी शुरू की राखी बताते हैं कि राखी हमारा सबसे इम्पॉर्टेंट, यूनीक और पहला प्रोडक्ट है. हम करीब एक लाख राखियां बनाते हैं, जिसमें से करीब 45-50 हजार राखियां हम देश की सीमाओं के साथ अन्य चुनौतीपूर्ण जगहों पर तैनात सैनिकों को बिना किसी कीमत के भेजते हैं.
अंकित शुक्ला ने कहा कि अभी हम जम्मू कश्मीर के पीओके बॉर्डर पर तैनात 1 से लेकर सभी 70 राष्ट्रीय राइफल के जवानों के लिए राखियां भेजते हैं. इस बार हम असम बाढ़ में काम करने वाले असम राइफल्स के जवानों, राजस्थान बॉर्डर पर तैनात जवानों के साथ-साथ उत्तराखंड और जम्मू में तैनात आईटीबीपी के जवानों के लिए भी राखी भेज रहे हैं. हम चीन बॉर्डर पर तैनात जवानों और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के लिए भी राखी भेज रहे हैं. अंकित शुक्ला कहते हैं कि, यही नहीं, हम अन्य सेक्टर्स में भी काम करने वाले अच्छे लोगों को बच्चों द्वारा बनाई गई राखियां भेजते हैं. मार्केट में भी जाती हैं बच्चों की बनाई राखी अंकित शुक्ला कहते हैं कि सैनिकों को भेजने के बाद भी हमारी 50-55 हजार राखियां बच जाती हैं. हम उन्हें मार्केट में उचित कीमत पर बेचने की कोशिश करते हैं. हम इन राखियों की कीमत 3 से 5 रुपये तक रखते हैं. पिछले सालों में हम लोग 5 लाख राखियां बना चुके हैं. स्किल डेवलपमेंट के साथ आजीविका का साधन उपलब्ध कराना उद्देश्य कहते हैं की ये सभी बच्चे बेहद गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं और हम इनसे कोई पैसे नहीं लेते हैं. लेकिन बच्चे जो भी एक्टिविटी करते हैं उसी से हम फंड जनरेट करते हैं और एनजीओ को चलाते हैं.वह बताते हैं कि हम जो क्लासेज चलाते हैं, उसमें से 3 दिन इनके स्किल डेवलपमेंट की क्लास होती है. उसके लिए हम अगर दो लाख का सामान खरीदकर बच्चों को एक्टिविटी के लिए देते हैं तो उन्हें मार्केट में बेचकर उस कॉस्ट को निकालते हैं. बाकी के पैसे बच्चों के राशन-पानी, पढ़ाई-लिखाई पर इस्तेमाल करते हैं. हमारा यही उद्देश्य है कि ऐसे स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाकर हम देशभर में बच्चों को भीख मांगने से रोक सकें. यह बिल्कुल उसी तरह से है जैसे सामान्य स्कूलों में ड्रॉइंग है.संस्था के साथ 17 हजार बच्चे कर चुके हैं काम बताते हैं कि, हमारे यहां 5 साल से लेकर 16 साल तक के बच्चे हैं. अभी तक पिछले कई साल में हम 17 हजार बच्चों के साथ काम कर चुके हैं. इनमें ऐसे बच्चे शामिल हैं जो हमारे यहां रहते हैं, अपने घर पर रहते हैं लेकिन हम उन्हें सपोर्ट करते हैं, या हमारे साथ काम करते हैं आदि. और बच्चे अपने घर रहते हैं. राखी बनाने वाले बच्चे कुल 30 हैं. कई मंत्रीमंडल विधायक से मिल चुकी है तारीफ ने कहा कि हमारे पास आर्मी की यूनिट्स प्रशंसा पत्र भेजती रहती हैं. हमारे पास मंत्री का एक बार लेटर आया है. सभी बटालियनों के तो नहीं लेकिन बहुत से बटालियन के पत्र आते हैं.बच्चे सीख भी रहे और अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवा रहे ने कहा कि हम जब ये सामान सेल करने जाते हैं तो बच्चों को भी लेकर जाते हैं. इससे उनको पता चलता है कि मार्केटिंग कैसे की जाती है. अगर कोई बच्चा आगे जाकर बीबीए या एमबीए करेगा तो उसे इससे मदद मिलेगी उन्होंने कहा कि हम बच्चों को एजुकेशनल ट्रिप पर भी ले जाते हैं.

Suraj Kumar

Chief Editor - Surya News 24 Edior - Preeti Vani & Public Power Newspaper Owner - Etion Network Private Limited President - Suraj Janhit Association Address - Deeh Deeh Unnao UP Office Address - 629,Moti Nagar Unnao

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