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“सरकार ने किया था मनोज कुमार की फिल्मों पर बैन, फिर जीतने के लिए लड़ा कोर्ट केस”

“सरकार ने किया था मनोज कुमार की फिल्मों पर बैन, फिर जीतने के लिए लड़ा कोर्ट केस”

मनोज कुमार, हिंदी सिनेमा के वो सितारे जिनकी फिल्मों ने न केवल दर्शकों को आनंदित किया, बल्कि समाज और राजनीति पर भी गहरे प्रभाव छोड़े। वे एक ऐसे अभिनेता और निर्देशक हैं जिन्होंने अपने अभिनय और निर्देशन से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक अहम स्थान हासिल किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी आया जब मनोज कुमार की फिल्मों पर सरकार ने बैन लगा दिया था? वह एक अभिनेता थे जिन्होंने न सिर्फ अपने अभिनय से फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाई, बल्कि निर्देशक के रूप में भी अपनी कड़ी मेहनत और अद्वितीय दृष्टिकोण से फिल्मों को नई दिशा दी। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे मनोज कुमार की फिल्मों पर बैन लगा था और कैसे उन्होंने सरकार के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ी और आखिरकार जीत हासिल की।

### फिल्मी सफर का आरंभ

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई, 1937 को उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। उनका असली नाम ‘हरकिशन गोयल’ था, लेकिन उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने नाम को मनोज कुमार के रूप में अपनाया। उन्होंने 1960 में फिल्म “हम हिंदुस्तानी” से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। इसके बाद वे लगातार फिल्मों में अभिनय करते रहे और जल्द ही वे बॉलीवुड के सबसे प्रमुख सितारों में से एक बन गए। मनोज कुमार का नाम खासतौर पर देशभक्ति और समाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों के लिए जाना जाता है। उनकी फिल्मों में आम आदमी के संघर्ष, देशभक्ति, और भारतीय संस्कृति को विशेष स्थान दिया गया।

### मनोज कुमार का निर्देशन

मनोज कुमार ने न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि एक सफल निर्देशक भी बने। 1960 और 70 के दशक में उनका निर्देशन फिल्मों में एक नई ताजगी लेकर आया। उनकी फिल्म “उपकार” (1967) ने उन्हें बतौर निर्देशक पहचान दिलाई। इस फिल्म में उन्होंने भारतीय समाज की कठिनाइयों और संघर्षों को दिखाया था। इसके बाद “भारत कुमार” के नाम से भी उन्हें जाना गया। “शहीद” (1965) और “पूरब और पश्चिम” (1970) जैसी फिल्मों में उन्होंने न केवल अभिनय किया, बल्कि समाजिक और देशभक्ति के मुद्दों को फिल्म में बखूबी उभारा।

### बैन का कारण

मनोज कुमार की फिल्मों को एक समय ऐसा आया जब उनकी कुछ फिल्मों पर सरकार ने बैन लगा दिया था। यह घटनाक्रम उस समय का था जब उन्होंने 1973 में फिल्म “रोटी कपड़ा और मकान” बनाई थी। इस फिल्म में एक आम आदमी के संघर्षों को दिखाया गया था और समाज के मुद्दों को उठाया गया था। फिल्म में जिस तरह से समाज के भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और गरीबी की समस्याओं को उजागर किया गया था, वह सरकार के लिए निंदनीय हो गया।

इसके अलावा, फिल्म में दिए गए संवादों और सीन का तात्पर्य कुछ ऐसा था जिसे सरकार ने अपने ऊपर आरोप मान लिया। उस समय की सरकार ने फिल्म पर बैन लगा दिया था। यह फैसला उन दिनों में सरकार द्वारा आमतौर पर की जाने वाली सेंसरशिप का हिस्सा था। यह घटना मनोज कुमार के लिए एक झटका थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि वह केवल समाज के मुद्दों पर अपनी बात रख रहे थे, जो हर नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है।

### कोर्ट में लड़ा केस

मनोज कुमार ने इस बैन को चुनौती देने का निर्णय लिया और इसके खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया। उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि फिल्म में जो बातें की गई हैं, वह केवल समाज की समस्याओं का चित्रण हैं, और इसमें किसी तरह की सरकार या किसी अन्य पक्ष के खिलाफ नहीं कहा गया है। उनके लिए यह मामला केवल एक कलाकार के अधिकारों की रक्षा करने का था।

मनोज कुमार का मानना था कि सिनेमा को एक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए और सरकार का काम केवल इसे सेंसर करना नहीं, बल्कि समाज के मुद्दों को सामने लाना और उन पर विचार करना भी है। उनके इस संघर्ष ने भारतीय सिनेमा और उसके भविष्य के लिए एक मजबूत संदेश दिया कि फिल्में सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह समाज को जागरूक करने और उसकी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने का एक सशक्त तरीका भी हो सकती हैं।

### कोर्ट में मिली जीत

मनोज कुमार ने लंबे समय तक अदालत में अपनी फिल्म पर लगाए गए बैन के खिलाफ संघर्ष किया। उनकी मेहनत रंग लाई और आखिरकार अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि फिल्म “रोटी कपड़ा और मकान” में किसी तरह की ऐसी सामग्री नहीं है, जो समाज को गुमराह करे या सरकार के खिलाफ हो। इसके बाद अदालत ने फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दे दी और फिल्म पर लगे बैन को हटा लिया।

मनोज कुमार की यह जीत केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे फिल्म इंडस्ट्री और कला के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। यह साबित हुआ कि सिनेमा की दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है और किसी भी कलाकार को अपनी रचनाओं पर सेंसरशिप के नाम पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।

 

Suraj Kumar

Chief Editor - Surya News 24 Edior - Preeti Vani & Public Power Newspaper Owner - Etion Network Private Limited President - Suraj Janhit Association Address - Deeh Deeh Unnao UP Office Address - 629,Moti Nagar Unnao

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