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राजपूत घरानों की कहानी बयां करता आमेर का किला, जहां घूमने के लिए सर्दियां हैं बेस्ट सीज़न

राजपूत घरानों की कहानी बयां करता आमेर का किला, जहां घूमने के लिए सर्दियां हैं बेस्ट सीज़न

नई दिल्ली। Amer Fort: अगर आप सर्दियों में आसपास किसी घूमने वाली जगह की तलाश कर रहे हैं, जो जयपुर जाने का आइडिया रहेगा बेस्ट। वैसे तो यहां घूमने वाली जगहों की कमी नहीं, लेकिन एक ऐसी जगह है, जिसे देखे बगैर यहां की यात्रा अधूरी मानी जाती है और वो है आमेर का किला। जिसे अंबर क़िला या आमेर पैलेस के नाम से जाना जाता है। आमेर राजस्थान में स्थित एक खूबसूरत शहर है, जिसके नाम पर इस किले का नाम पड़ा है। इसे राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था और सन् 1592 में बनकर तैयार हुआ था। यह किला पहाड़ी के ऊपर लगभग 1.5 वर्ग मील में फैला हुआ है, जहां से आप आमेर शहर का शानदार नजारा देख सकते हैं।

आमेर किले का इतिहास
आमेर किले, जयगढ़ किले के एकदम समानांतर स्थित है और ये दोनों किले नीचे एक मार्ग से जुड़े हुए हैं। इसे बनाने का मकसद दुश्मनों से किले की रक्षा था। आमेर किले का सबसे पहला निर्माण राजा काकिल देव ने 11वीं सदी में शुरू करवाया था, लेकिन बाद में 1592 में राजा मान सिंह ने इसे पूरा करवाया था। आमेर का किला मध्य काल का एक स्मारक है।
यह किला अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। राजस्थान के जयपुर में स्थित आमेर का किला भव्य होने के साथ ही खूबसूरत भी है। इस किले को बनाने में लाल संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
आमेर किले के प्रमुख महल और स्थान
मानसिंह महल- यह आमेर किले का सबसे पुराना महल है, जिसे राजा मानसिंह ने बनवाया था। जो देखने लायक है।
शीश महल- किले में मौजूद शीश महल को देखना बहुत ही यादगार रहेगा। यह शीशे से घिरा एक ऐसा कमरा है, जिसमें प्रकाश की एक किरण से पूरा कमर रौशन हो जाता है। मशहूर बॉलीवुड फिल्म मुगल-ए-आजम के गाने प्यार किया तो डरना क्या कि शूटिंग इसी महल में हुई है।
आमेर किले का दीवान-ए-आम- आमेर किले में एंट्री करते ही सामने एकदम संगमरमर के चालीस खंभों से बना एक बहुत ही बड़ा आयताकार भवन है। कहा जाता है यहां राजा का दरबार लगता था। इस भवन का निर्माण राजा जयसिंह ने करवाया था।
सुहाग मंदिर- आमेर किले की सबसे ऊपरी मंजिल पर कई सारी बड़ी-बड़ी खिड़कियां बनी हुई हैं। जिन्हें “सुहाग मंदिर” के नाम से जाना जाता है। इन झरोखों से रानियां और महिलाएं शाही दरबार और दूसरे कार्यक्रमों को देखती थीं।
राजस्थान के इस किले में बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड की भी कई सारी फिल्मों की शूटिंग हुई है। जिसमें बाजीराव मस्तानी, शुद्ध देसी रोमांस, मुगल-ए-आजम, भूल भुलैया, जोधा अकबर जैसी फिल्में शामिल हैं। किले में रोजाना शाम को लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन होता है। जिसे देखना वाकई अद्भभुत होता है। लेकिन इसके लिए आपको अलग से टिकट लेनी होती है।
घूमने का सही समय
अक्टूबर से लेकर मार्च तक का महीना यहां घूमने के लिए बेस्ट होता है। जब ज्यादातर जगहों पर ठंड रहती है वहीं यहां का मौसम घूमने के एकदम अनुकूल होता है।
कैसे पहुंचे?
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे शहरों से जयपुर के लिए आपको डायरेक्ट डीलक्स और राज्य परिवहन की बसें मिल जाएंगी। आमेर किला जयपुर शहर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, तो जयपुर से यहां के लिए आपको टैक्सी बुक करनी होती है।

यह किला जयपुर से 11 किलोमीटर दूर दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर स्थित है. किले के अंदर कई तरह की पेंटिंग और कलाकृतियां हैं, जो आपको रोमांचित कर देगी. इस किले में स्थित शीश महल जयपुर की वास्तुकला का एक ऐसा अद्भुत नमूना है, जिसमें दर्पण का काम देखने को मिलता है. इस किले को मिरर पैलेस भी कहते हैं.

ढाई करोड़ कांच के टुकड़ों से तैयार हुआ है शीश महल
शीश महल के अंदर कांच के हर रंग के लगभग 25 मिलियन यानी ढाई करोड़ कांच के टुकड़ों से इसे तैयार किया गया है. इसकी वास्तुकला बेहद ही अनूठी और शानदार है. महल के अंदर बना फर्श भी कांच के टुकड़े से बना हुआ हैं. महल के अंदर एक भी ऐसी जगह नहीं है, जहां कांच नहीं लगा हो. इसी के चलते इसका नाम शीश महल रखा गया था. यह आमेर किले की सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक विशेषता है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में महाराजा मान सिंह ने करवाया था. हालांकि, 1727 ई. तक इसका निर्माण पूरा हो चुका था.

ांच-कीमती पत्थरों से दीवार और छत को किया गया है तैयार
इस शीश महल को दर्पण महल के नाम के नाम से भी जाना जाता है. यह महल राजा ने अपनी रानी के लिए बनवाया था, जिसमें विशेष रूप से महल की दीवार और छत को सुंदर चित्रों और फूलों की डिजाइन से सजाया गया है. शीश महल में अगर एक मोमबत्ती भी जला दी जाए तो हजारों जुगनू की रोशनी भी फिकी पड़ जाती हैं. इस महल को बनाए जाने के पीछे एक खास वजह थी.
रात में सितारे देखना चाहती थी रानी
दरअसल, रानी की ख्वाहिश थी कि वह सोते समय महल के भीतर से भी सितारों को देखें. उनकी इच्छा पूरी करने के लिए महाराजा ने अपने वास्तुकारों से एक ऐसा महल डिजाइन करने के लिए कहा जो इस समस्या का समाधान कर सके. महल में हॉल की दीवारें और छत को कांच और कीमती पत्थरों से बनाया गया है. इसकी वजह से अगर कोई दो मोमबत्तियां जलाता है, तो उसका प्रतिबिंब उस मामूली रोशनी को हजारों सितारों में बदल देता है, जो देखने में शानदार लगता है.

अगर आप भी सर्दी की छुट्टियों में राजस्थान घूमने का प्लान बना रहे हैं तो ये खबर आप ही के लिए हैं. जयपुर के आमेर किले में अब आप कम पैसे देकर हाथी की सवारी कर सकेंगे. पुरातात्विक विभाग ने हाल ही में नई रेट लिस्ट जारी करते हुए महल में हाथी सवारी का किराया 1000 रुपये तक कम कर दिया है. यानी अब आपको आमेर किले में हाथी की सवारी के लिए सिर्फ 1500 रुपये ही देने होंगे. पहले यह किराया 2500 रुपये था. नई दरें 10 जनवरी 2025 से लागू हो गई हैं.

बाद में पुरातत्व विभाग ने बैठक करके तय किया कि हाथी सवारी का किराया हर साल 5 प्रतिशत बढ़ाया जाएगा और हर 5 साल बाद इसकी समीक्षा की जाएगी.

Suraj Kumar

Chief Editor - Surya News 24 Edior - Preeti Vani & Public Power Newspaper Owner - Etion Network Private Limited President - Suraj Janhit Association Address - Deeh Deeh Unnao UP Office Address - 629,Moti Nagar Unnao

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