पूजा पाल की संघर्षगाथा: विधवा से विधायक बनने तक का सफर
पूजा पाल की संघर्षगाथा: विधवा से विधायक बनने तक का सफर

प्रयागराज में खत्म हुई तीन नेताओं की राजनीति: 17 साल बाद भी नहीं भुला वो दर्दनाक मंजर
### हेडलाइंस:
1. प्रयागराज में 8 मिनट की दहशत, राजनीति का बदला परिदृश्य
2. 17 साल बाद भी राजू पाल हत्याकांड की गूंज, न्याय की प्रतीक्षा
3. अतीक अहमद का राजनीतिक सफर: सत्ता से जेल तक की कहानी
4. पूजा पाल की संघर्षगाथा: विधवा से विधायक बनने तक का सफर
### भूमिका:
प्रयागराज का सुलेमसराय इलाका, जहां 17 साल पहले एक दर्दनाक घटना घटी थी, आज भी उस भयानक दोपहर को नहीं भुला सका है। यह वही जगह है जहां 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की निर्मम हत्या कर दी गई थी। यह घटना केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं थी, बल्कि इसने पूरे शहर की राजनीति को झकझोर कर रख दिया।
यह कहानी है अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, बसपा विधायक राजू पाल और उनकी पत्नी पूजा पाल की। उस दिन जो हुआ, उसने प्रयागराज की राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं।
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### शांति से अशांति में बदला प्रयागराज:
वह दिन गणतंत्र दिवस के ठीक पहले का था। पूरा इलाका देशभक्ति के रंग में रंगा था। दुकानों में तिरंगे बिक रहे थे, देशभक्ति के गाने बज रहे थे। लेकिन उसी दोपहर सुलेमसराय में अचानक गोलियों की गूंज सुनाई दी, जिसने पूरे शहर में अफरा-तफरी मचा दी।
बसपा विधायक राजू पाल अपने काफिले के साथ एसआरएन अस्पताल से घर लौट रहे थे। रास्ते में जब वे सुलेमसराय के जीटी रोड पहुंचे, तभी एक तेज़ रफ्तार मारुति वैन ने उनकी क्वालिस को ओवरटेक किया और सामने आकर रुक गई। इससे पहले कि राजू कुछ समझ पाते, उनकी गाड़ी बांस-बल्ली की दुकान से टकरा गई।
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### हत्या की योजना और खौफनाक मंजर:
वैन से पांच हथियारबंद लोग उतरे और चारों ओर से गोलियां चलाने लगे। दो हमलावरों ने काफिले की दूसरी गाड़ी को भी निशाना बनाया। किसी को बचने का मौका नहीं मिला। गोलियों की आवाज़ सुनकर लोग इधर-उधर भागने लगे।
पहले चार मिनट तक लगातार फायरिंग होती रही, फिर अगले चार मिनट तक हमलावर यह सुनिश्चित करते रहे कि राजू की सांसें थम चुकी हैं। इसके बाद वे वहां से फरार हो गए। घटनास्थल पर पुलिस पहुंची और तत्काल राजू पाल को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पोस्टमॉर्टम में उनकी बॉडी से 19 गोलियां निकाली गईं। उनके साथ बैठे संदीप यादव और देवीलाल भी इस हमले में मारे गए।
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### पूजा पाल की मांग 9 दिन में उजड़ी:
इस नृशंस हत्या ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। स्थिति को संभालने के लिए प्रशासन को पीएसी की तैनाती करनी पड़ी।
राजू पाल की पत्नी पूजा पाल, जिन्होंने महज 9 दिन पहले शादी की थी, ने अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ समेत कई लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। तब से लेकर आज तक यह मामला अदालत में चल रहा है।
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### अतीक अहमद और अशरफ: राजनीति से अपराध की ओर:
मार्च 2004 में अतीक अहमद सांसद बने और उनकी खाली हुई सीट पर उनके भाई अशरफ को टिकट मिला। लेकिन चुनाव में राजू पाल ने उन्हें 4,000 वोटों से हरा दिया। इस हार से अतीक और अशरफ बौखला गए।
21 नवंबर और 28 दिसंबर 2004 को राजू पाल पर दो बार जानलेवा हमले किए गए, लेकिन वे बच गए। उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की मांग की, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। और फिर 25 जनवरी 2005 को उनकी हत्या कर दी गई।
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### पूजा पाल के संघर्ष की कहानी:
राजू पाल की मौत के बाद हुए उपचुनाव में बसपा ने पूजा पाल को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2007 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की और विधायक बनीं।
2012 के चुनावों में पूजा पाल ने अतीक अहमद को 8,885 वोटों से हरा दिया। 2014 में सपा ने अतीक को श्रावस्ती से लोकसभा चुनाव में उतारा, लेकिन वे भाजपा के दद्दन मिश्रा से 95,913 वोटों से हार गए।
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### अतीक अहमद का राजनीतिक अंत:
2017 में अतीक अहमद का टिकट सपा ने काट दिया। योगी सरकार के आने के बाद उनके खिलाफ दर्जनों मुकदमों में जांच शुरू हुई। उनके अवैध कब्जे हटाए गए और सरकारी जमीनों पर बनी संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया। 2022 में वह गुजरात की जेल में बंद रहे। यह पहला मौका था जब उनके परिवार का कोई भी सदस्य चुनावी मैदान में नहीं था।
अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन AIMIM में शामिल हुईं, लेकिन आखिरी समय में उन्होंने नामांकन वापस ले लिया।
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अतीक का गिरोह और अपराध की कड़ियां:
प्रयागराज में अतीक अहमद और उनके बेटे अली के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। उन पर पांच करोड़ की रंगदारी मांगने और हत्या की साजिश रचने के आरोप हैं।