पुत्र की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखी जिउतिया व्रत।
पुत्र की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखी जिउतिया व्रत।
*अरियार बरियार की श्रद्धा भाव की पुजा
बिहार डेस्क/भास्कर दिवाकर
बगहा।पुत्र के लंबी आयु के लिए किए जाने वाले जितिया व्रत के दिन माताओं ने निर्जला रहते हुए बुधवार की शाम थाना क्षेत्र की महिला व्रतियों ने गंडक नदी पर आस्था की डुबकी लगाई और अरियार बरियार की कथा सुनते हुए दान पुण्य किया।महिलाओं ने बताया कि ऐसा विधान है कि जितिया व्रत को श्रद्धा भाव से करने पर पुत्र दिर्घायु होता है।इस बाबत पंडितो ने बताया कि इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र,सेहत और सुखमयी जीवन के लिए व्रत रखती हैं।इस व्रत की शुरुआत सप्तमी से नहाय-खाय के साथ हो जाती है और नवमी को पारण के साथ इसका समापन होता है।तीज की तरह जितिया व्रत भी बिना आहार और निर्जला किया जाता है।छठ पर्व की तरह जितिया व्रत पर भी नहाय-खाय की परंपरा होती है।यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है।अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि और उन्नत के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।इसके बाद नवमी तिथि यानी अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है।धार्मिक कथाओं के मुताबिक बताया जाता है कि एक बार एक जंगल में चील और लोमड़ी (सियार) घूम रहे थे,तभी उन्होंने मनुष्य जाति को इस व्रत को विधि पूर्वक करते देखा एवम कथा सुनी।उस समय चील ने इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा के साथ ध्यानपूर्वक देखा,वही लोमड़ी का ध्यान इस ओर बहुत कम था।चील ने कथा में बताये नियमानुसार निर्जला उपवास किया जबकि सियार ने मांस खा लिया।चील के संतानों को कभी कोई हानि नहीं पहुँची लेकिन लोमड़ी की संतान जीवित नहीं बच पाये।इसलिए पर्व में चील और सियार का बार-बार ज़िक्र आता है और पहले और तीसरे दिन खाना पहले इन्हें ही खिलाया जाता है।हमारे यहाँ इन्ही चील और सियार को चिल्हो-सियारो कहा जाता है।