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बीएनएस धारा 3 क्या है? BNS Section 3 in Hindi - स्पष्टीकरण और परिभाषाएँ

बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) 2023 एक नया भारतीय कानून (Indian Law) है जो पुराने आपराधिक कानूनों को एकत्रित और संशोधित (Collected & Revised) करता है।

बीएनएस धारा 3 क्या है? BNS Section 3 in Hindi - स्पष्टीकरण और परिभाषाएँ
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बीएनएस धारा 3 क्या है? BNS Section 3 in Hindi – स्पष्टीकरण और परिभाषाएँ

बीएनएस की धारा BNS Section 3 in Hindi
हम सभी रोजाना समाचारों में अपराधों के बारे में सुनते है। चाहे वह चोरी हो, हत्या हो या फिर कोई और अपराध। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन अपराधों को कैसे परिभाषित किया जाता है? और कानून इन अपराधों से कैसे निपटता है? इन सभी सवालों के जवाब हमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में मिलते हैं। बीएनएस की धारा 3 इस संहिता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें अपराध, अपराधी और अपराध के तत्वों को समझने में मदद करती है। यह धारा हमें बताती है कि कौन से कृत्य अपराध माने जाते हैं और कौन से नहीं। यह धारा न केवल कानून के जानकारों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करती है। इसलिए आज विस्तार से जानेंगे, कि बीएनएस की धारा 3 क्या है (BNS Section 3 in Hindi)? धारा 3 किन अपराधों को परिभाषित करती है? इस धारा की सभी उपधाराओं के मुख्य उद्देश्य क्या है?

भारतीय न्याय संहिता (BNS) हमारे देश का नया कानून है जो अपराधों से संबंधित सभी पुराने कानूनों को एक साथ लाता है और उन्हें और बेहतर बनाता है। इस संहिता में कई धाराएं हैं, जिनमें से एक बहुत महत्वपूर्ण धारा 3 है। इसलिए धारा 3 के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को जरुर पढ़े।

बीएनएस धारा 3 क्या है स्पष्टीकरण और परिभाषाएँ – BNS Section 3 in Hindi
बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) 2023 एक नया भारतीय कानून (Indian Law) है जो पुराने आपराधिक कानूनों को एकत्रित और संशोधित (Collected & Revised) करता है। धारा 3 इस संहिता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालती है।

बीएनएस धारा 1 क्या है | BNS Section 1 in Hindi

बीएनएस धारा 2 क्या है | BNS Section 2 in Hindi परिभाषाएँ।

BNS Section 3 (1) सामान्य स्पष्टीकरण और परिभाषाएँ
भारतीय न्याय संहिता की धारा 3(1) में “सामान्य अपवाद” (General Exceptions ) का मतलब स्पष्ट किया गया है। इसमें विभिन्न कानूनी शब्दों (Legal Terms) की परिभाषाएँ दी गई हैं, जिससे सुनिश्चित होता है कि सभी कानूनी विवादों में उन शब्दों का सही अर्थ और उपयोग हो। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि न्याय संहिता के सभी विधियां और परिभाषाएँ (Methods & Definitions) सामान्य अपवादों के अंतर्गत सही ढंग से लागू हों।

धारा 3 बताती है कि यदि किसी अपवाद में कोई विशेष परिस्थिति या निर्देश (Situation Or Direction) दिया गया है, तो उसी अपवाद के अनुसार विधियां और परिभाषाएँ लागू होंगी। इससे सुनिश्चित होता है कि कानून के अपराध और उनके दण्डों में अपवादों का ध्यान रखा जाए, और इससे कानून की स्पष्टता और एकरूपता (Clarity Or uniformity) बनी रहती है।

BNS Section 3 (2) का उद्देश्य
इस प्रावधान (Provision) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून में इस्तेमाल किए गए सभी शब्दों (Words) का अर्थ हर जगह एक जैसा हो। इसे सरल भाषा में इस प्रकार समझा जा सकता है:

एक समान अर्थ: इस कानून में कोई भी विशेष शब्द या वाक्यांश (Special Words Or Phrases) (जैसे कोई कानूनी शब्द) जहां भी इस्तेमाल किया गया हो, उसका वही अर्थ होगा जो पहले से परिभाषित किया गया है। इसका मतलब है कि एक शब्द का मतलब हर जगह एक जैसा होगा।
स्पष्टीकरण के अनुसार: अगर किसी शब्द या वाक्यांश के लिए कोई खास परिभाषा या स्पष्टीकरण दी गई है, तो उस शब्द का अर्थ उसी स्पष्टीकरण के आधार पर समझा जाएगा, चाहे वह शब्द कानून के किसी भी हिस्से में क्यों न इस्तेमाल किया गया हो।
संगतता बनाए रखना: इस कानून में शब्दों का अर्थ हर जगह एक जैसा रहे, ताकि कोई भी भ्रम या गलतफहमी न हो। इससे यह सुनिश्चित होता है कि हर कोई कानून को एक ही तरीके से समझे और उसका सही तरीके से पालन करे।

इससे यह पक्का होता है कि कोई भी शब्द या वाक्यांश कानून में जहां भी इस्तेमाल किया गया है, उसका एक ही अर्थ समझा जाएगा, जिससे न्याय प्रणाली (Justice System) में एकता और स्पष्टता बनी रहती है।

उदाहरण:

शब्द “अपराध” का अर्थ: मान लीजिए कि इस संहिता में “अपराध” शब्द को एक विशेष प्रकार के कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है, जो कानून के खिलाफ है। अब जब भी इस संहिता के किसी भी भाग में “अपराध” शब्द का उपयोग होगा, उसका मतलब वही होगा जो पहले से परिभाषित किया गया है।

“संपत्ति” का अर्थ: अगर “संपत्ति” शब्द को इस संहिता में एक विशेष रूप में परिभाषित किया गया है, तो इसे संहिता के हर हिस्से में उसी परिभाषा के अनुसार समझा जाएगा, चाहे वह संपत्ति चल या अचल (Moveable Or Non Moveable) हो।

BNS Section 3 (3) का उद्देश्य
इस प्रावधान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि किसी व्यक्ति की संपत्ति उसके कब्जे में मानी जाएगी, भले ही वह संपत्ति उस व्यक्ति के बजाय उसके पति या पत्नी, क्लर्क, या नौकर के पास हो।

सरल भाषा में:

संपत्ति का कब्जा: यदि किसी व्यक्ति की संपत्ति (Property) उसके खुद के पास नहीं है, बल्कि उसकी जगह उसके पति या पत्नी, क्लर्क, या नौकर के पास है, तो कानूनी दृष्टिकोण (Legal Perspectives) से यह माना जाएगा कि वह संपत्ति उस व्यक्ति के कब्जे में ही है। मतलब, उस व्यक्ति की जिम्मेदारी और अधिकार वही रहेंगे, जैसे कि संपत्ति उसके अपने पास हो।

क्लर्क या नौकर की भूमिका: इस प्रावधान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति अस्थायी रूप (Temporary form) से या किसी विशेष अवसर के लिए क्लर्क या नौकर के रूप में नियुक्त किया गया है, तो वह व्यक्ति भी इस उप-धारा के अंतर्गत “क्लर्क या नौकर” माना जाएगा। मतलब अगर संपत्ति उस अस्थायी क्लर्क या नौकर के पास है, तो भी उसे उस व्यक्ति के कब्जे में माना जाएगा जिसने उसे नियुक्त किया है।

उदाहरण:

पति/पत्नी: मान लीजिए कि एक व्यक्ति के पास एक घर है, और वह घर उसकी पत्नी के कब्जे में है। कानून की दृष्टि से वह घर अब भी उस व्यक्ति के कब्जे में माना जाएगा, भले ही वह उसकी पत्नी के पास हो।
क्लर्क या नौकर: यदि किसी व्यक्ति ने किसी अस्थायी कर्मचारी को अपने व्यवसाय (Business) के लिए नियुक्त (Appoint) किया है, और उस कर्मचारी के पास किसी संपत्ति की जिम्मेदारी है, तो वह संपत्ति उस व्यक्ति के कब्जे में मानी जाएगी जिसने कर्मचारी को नियुक्त किया है।
महत्व: इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संपत्ति की जिम्मेदारी और अधिकार उचित व्यक्ति के पास ही रहें, भले ही वह संपत्ति शारीरिक रूप से किसी और के पास क्यों न हो।

BNS Section 3 (4) का उद्देश्य
इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस संहिता में जहां भी किसी कार्य (अपराध) का उल्लेख किया गया है, उसे केवल किए गए कार्यों तक ही सीमित न समझा जाए, बल्कि इसमें उन कार्यों को भी शामिल किया जाए जिन्हें करने से कोई व्यक्ति जानबूझकर चूक गया हो, और वह चूक भी कानून की दृष्टि में गलत हो।

सरल भाषा में:

किए गए कार्य और चूक दोनों शामिल: जब इस संहिता में किसी “कार्य” का उल्लेख किया जाता है, तो इसका मतलब केवल वह काम नहीं होता जो किया गया है, बल्कि इसमें वह चूक (काम न करना) भी शामिल होती है, जो किसी व्यक्ति से अपेक्षित (Expected) थी और जो न करना कानून के अनुसार गलत है।
चूक का विस्तार: उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति से कानून के अनुसार कुछ करने की उम्मीद थी। लेकिन उसने वह काम जानबूझकर नहीं किया तो उसे भी उसी तरह का अपराध माना जाएगा जैसे कि उसने कोई गलत काम किया हो। इसे “अवैध चूक” (Illegal Defaults) कहते हैं।
अपवाद: केवल वही स्थितियाँ इस प्रावधान से बाहर हैं, जहाँ संहिता के संदर्भ में स्पष्ट रूप से कुछ और कहा गया हो जिससे यह समझ में आए कि चूक को उस स्थिति में शामिल नहीं किया गया है।
उदाहरण:

अवैध कार्य: मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने चोरी की है, तो यह एक कार्य है जो उसने किया है। यह स्पष्ट रूप से एक अपराध है।
अवैध चूक: मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को कानून के तहत अपने बच्चे का पोषण करना है, लेकिन उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया तो यह भी एक अपराध माना जाएगा, भले ही उसने कोई कार्य न किया हो। यहां उसका “न करना” (चूक) कानून की दृष्टि में गलत है।

BNS Section 3 (5) का उद्देश्य
इस प्रावधान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि जब कोई आपराधिक कृत्य (Crime) कई व्यक्तियों द्वारा एक साथ मिलकर किया जाता है, तो हर व्यक्ति उस अपराध के लिए उसी प्रकार जिम्मेदार होगा जैसे कि उसने वह अपराध अकेले किया हो। इसका मतलब है कि एक समूह (Group) में किए गए अपराध के लिए हर सदस्य को समान रूप से दोषी (Guilty) माना जाएगा चाहे उसने सीधे तौर पर अपराध किया हो या नहीं।

सरल भाषा में:

सामूहिक आपराधिक कृत्य: अगर कई लोग मिलकर एक अपराध को अंजाम देते हैं, तो सभी लोगों को उस अपराध के लिए दोषी माना जाएगा। यह नहीं देखा जाएगा कि किसने क्या किया, बल्कि सभी को समान रूप से उत्तरदायी माना जाएगा।
समान जिम्मेदारी: हर व्यक्ति जो उस आपराधिक योजना (Criminal Planning) का हिस्सा था, उसे इस तरह से जिम्मेदार ठहराया जाएगा जैसे कि उसने पूरा अपराध अकेले किया हो। इसका मतलब है कि समूह में हर व्यक्ति को वही सजा (Punishment) मिलेगी जो एक अकेले अपराधी को मिलती।

BNS Section 3(6) का उद्देश्य (पुरानी आईपीसी धारा 34)
इस प्रावधान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि जब कोई कार्य इस आधार पर अपराध माना जाता है कि वह विशेष ज्ञान या इरादे (intention) के साथ किया गया हो, और वह कार्य कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, तो उन सभी व्यक्तियों को उस अपराध के लिए समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा, जैसे कि उन्होंने वह कार्य अकेले किया हो और उनके पास वही ज्ञान या इरादा था।

सरल भाषा में:

विशेष ज्ञान या इरादा: किसी कार्य को अपराध इसलिए माना जाता है क्योंकि वह विशेष ज्ञान (awareness) या इरादे (Intention) के साथ किया गया है, तो जो भी व्यक्ति उस काम में शामिल है और जिसके पास वह ज्ञान या इरादा है, उसे अपराध के लिए पूरी तरह जिम्मेदार माना जाएगा।
कई व्यक्तियों की भागीदारी: जब कई लोग मिलकर एक ऐसा काम करते हैं, जिसमें सभी का ज्ञान या इरादा शामिल होता है, तो उन सभी को ऐसा ही दोषी माना जाएगा, जैसे कि उन्होंने वह काम अकेले किया हो।
समान जिम्मेदारी: हर वह व्यक्ति जो इस काम में शामिल होता है और जिसका इरादा या ज्ञान उस अपराध को करने का था, उसे उसी तरह से दोषी ठहराया जाएगा जैसे कि उसने अकेले वह काम किया हो।
उदाहरण:

दुष्प्रचार (False propaganda): मान लीजिए कि कुछ लोग मिलकर किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी खबर फैलाते हैं, और सबको पता है कि यह खबर झूठी है, तो सभी लोग इस अपराध के लिए जिम्मेदार होंगे, चाहे किसी ने सिर्फ बात की हो, किसी ने खबर फैलाई हो या किसी ने पोस्टर छापे हों। सभी का इरादा और ज्ञान इसमें शामिल था इसलिए सब समान रूप से दोषी होंगे।
साजिश (Conspiracy): यदि कुछ लोग मिलकर एक साजिश रचते हैं जिसमें किसी को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाते हैं और सभी को इस साजिश का ज्ञान है, तो हर व्यक्ति इस साजिश के लिए उतना ही दोषी माना जाएगा, जितना कि वह व्यक्ति जिसने इसे अंजाम दिया।

BNS Section 3 (7) का उद्देश्य
इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह समझाना है कि जब कोई व्यक्ति किसी निश्चित परिणाम को प्राप्त करने के लिए कुछ करता है या उस परिणाम को प्राप्त करने की कोशिश करता है, तो चाहे वह व्यक्ति अपने कार्य से या किसी कार्य को न करके (चूक) उस परिणाम का कारण बनता है, दोनों ही स्थितियों में इसे एक ही अपराध माना जाएगा। इसे आसान भाषा में इस तरह समझा जा सकता है:

निश्चित परिणाम को उत्पन्न करना: अगर कोई व्यक्ति कोई काम करता है जिसका परिणाम कुछ खास होता है, जैसे किसी को नुकसान पहुंचाना या किसी का नुकसान रोकना, तो वह इस प्रावधान के अंतर्गत आता है।
कारण बनना: इस प्रावधान के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने से उस परिणाम का कारण बनता है, तो वह अपराध माना जाएगा।
चूक (किसी काम को न करना): अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर कोई जरूरी काम नहीं करता, जिससे वह परिणाम उत्पन्न होता है, तो उसे भी वही अपराध माना जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति को बचाने के लिए कोई जरूरी कदम उठाना चाहिए था, लेकिन वह नहीं उठाया गया और उस व्यक्ति को नुकसान हुआ, तो यह भी अपराध होगा।
एक ही अपराध: चाहे किसी कार्य से या चूक से, अगर परिणाम वही है, तो इसे एक ही अपराध माना जाएगा। मतलब चाहे आप कोई काम करके किसी को नुकसान पहुंचाएं या कोई जरूरी काम न करके, दोनों ही स्थितियों में कानून के अनुसार वही अपराध होगा।
उदाहरण:

जहर देना और इलाज न करना: मान लीजिए किसी व्यक्ति ने किसी को जहर दिया और फिर जानबूझकर उसे इलाज से वंचित रखा, जिससे वह व्यक्ति मर गया। यहां जहर देना एक कार्य (act) है और इलाज न करना एक चूक (omission) है। दोनों मिलकर उस व्यक्ति की मौत का कारण बने, इसलिए इसे एक ही अपराध माना जाएगा।
आग लगाना और बचाव न करना: अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी घर में आग लगाता है और फिर वहां से भाग जाता है ताकि बचाव कार्य न हो सके, और आग के कारण लोग मर जाते हैं, तो आग लगाना एक कार्य है और बचाव में मदद न करना एक चूक है। दोनों मिलकर यह अपराध बनाते हैं।

BNS Section 3(8) का उद्देश्य
इस प्रावधान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि जब कोई अपराध कई अलग-अलग कार्यों के माध्यम से किया जाता है, और उन कार्यों में कई लोग शामिल होते हैं, तो सभी को अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, चाहे उन्होंने सीधे तौर पर अपराध किया हो या किसी और के साथ मिलकर उसमें भाग लिया हो।

सरल भाषा में:

अलग-अलग कार्य, एक ही अपराध: अगर कोई अपराध अलग-अलग कार्यों के माध्यम से किया जाता है, और उन कार्यों में अलग-अलग समय पर या अलग-अलग तरीकों से कई लोग शामिल होते हैं, तो उन सभी को उस अपराध के लिए दोषी माना जाएगा।
समान जिम्मेदारी: यदि कोई व्यक्ति किसी और के साथ मिलकर अपराध करता है, या अकेले किसी एक कार्य को अंजाम देता है जो उस अपराध का हिस्सा है, तो उसे भी उसी तरह जिम्मेदार ठहराया जाएगा जैसे कि उसने पूरा अपराध अकेले किया हो।
उदाहरण (अजय और कपिल का मामला):

परिस्थिति: मान लीजिए अजय और कपिल नाम के दो लोग एक व्यक्ति मोहित को मारने की योजना बनाते हैं। वे अलग-अलग समय पर और अलग-अलग खुराक में मोहित को जहर देते हैं।
कार्य: अजय और कपिल दोनों जानते हैं कि जहर की इन छोटी-छोटी खुराकों से मोहित की मौत हो जाएगी, और उन्होंने इसे करने का इरादा भी बनाया है।
नतीजा: मोहित की मौत उन दोनों द्वारा दी गई जहर की खुराकों के कारण हो जाती है।
अपराध की जिम्मेदारी: यहां अजय और कपिल दोनों ही हत्या (Murder) के अपराध के लिए समान रूप से दोषी हैं, भले ही उन्होंने अलग-अलग समय पर ज़हर दिया हो और उनके कार्य अलग-अलग हों। क्योंकि उन्होंने मोहित की हत्या के इरादे से जहर दिया तो वे दोनों हत्या के दोषी हैं।
महत्व: इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति अपराध में भाग लेने के बाद यह दावा न कर सके कि उसका योगदान छोटा था या वह कम दोषी है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी कार्य में भाग लेता है जो अपराध का हिस्सा है, तो उसे पूरे अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह कानून अपराधियों (Criminals) के लिए कोई रास्ता खुला नहीं छोड़ता कि वे अपनी भूमिका को कम करके दिखा सकें।

BNS Section 3 (9) का उद्देश्य
इस प्रावधान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि जब किसी अपराध को अंजाम देने में कई लोग शामिल होते हैं, तो वे सभी एक ही अधिनियम (कार्य) के माध्यम से अलग-अलग अपराधों के दोषी हो सकते हैं। इसका मतलब है कि एक ही कार्य में भाग लेने वाले विभिन्न व्यक्तियों पर अलग-अलग अपराधों के लिए आरोप लगाए जा सकते हैं, भले ही उन्होंने एक ही घटना में भाग लिया हो।

सरल भाषा में:

एक अधिनियम, अलग-अलग अपराध: अगर किसी अपराध को अंजाम देने में कई लोग शामिल होते हैं, तो सभी लोग एक ही घटना के कारण अलग-अलग अपराधों के लिए दोषी हो सकते हैं।
समान घटना, अलग अपराध: एक ही घटना में शामिल सभी लोगों पर एक जैसे अपराध का आरोप लगाना जरूरी नहीं है। उनके कार्यों और इरादों के आधार पर, हर व्यक्ति पर अलग-अलग अपराधों के लिए आरोप (Blame) लगाए जा सकते हैं।
विभिन्न अपराधों के दोषी: यह प्रावधान यह स्पष्ट करता है कि एक ही अपराध के तहत अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग अपराधों के लिए दोषी ठहराया जा सकता है, अगर उनके कार्य और इरादे अलग-अलग हों।
उदाहरण:

डाका और हत्या: मान लीजिए कि एक समूह एक बैंक में डाका डालता है। इस डाके के दौरान, एक व्यक्ति बैंक के कर्मचारियों को धमकाता है, दूसरा व्यक्ति पैसे इकट्ठा करता है, और तीसरा व्यक्ति गोली चलाकर किसी की हत्या कर देता है।

सभी लोग डाका डालने के अपराध के दोषी हैं।
जिस व्यक्ति ने गोली चलाकर हत्या की वह हत्या के लिए भी दोषी है।
जो व्यक्ति धमकी (Threat) दे रहा था वह अलग से धमकी देने के अपराध का दोषी हो सकता है।
अगर कुछ लोग मिलकर किसी को अगवा करते है, तो सभी व्यक्ति अपहरण (Kidnapping) के अपराध के दोषी होंगे।
महत्व: बीएनएस​ धारा 3 (9) का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब एक ही घटना में कई लोग शामिल हों, तो हर व्यक्ति को उसके कार्यों और इरादों (Actions & Intentions) के आधार पर सही अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए विशिष्ट अपराध (Specific Crime) के लिए दोषी ठहराया जाए, भले ही वह एक ही घटना का हिस्सा क्यों न हो। इससे न्याय प्रक्रिया अधिक सटीक और निष्पक्ष बनती है।

Suraj Kumar

Chief Editor - Surya News 24 Edior - Preeti Vani & Public Power Newspaper Owner - Etion Network Private Limited President - Suraj Janhit Association Address - Deeh Deeh Unnao UP Office Address - 629,Moti Nagar Unnao

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